
आज उनकी राहों में उपग्रहों की खोज का श्रेय गैलीलियो को दिया जाता है और इन चारों यूरोपा गेनीमेड ओके लिस्ट को गैलीलियन उपग्रह कहा जाता है और यह गैलीलियन चंद्रमा पृथ्वी के उपग्रह के बाद खोजे गए पहले उपग्रह हैं और दोस्तों के सामने छोटा पड़ता हैजो तुम वैज्ञानिक गैलीलियो ने और भी करोड़ों की खोज की चाहत में गैलीलियो ने कई साल लगातार दूरबीन से बृहस्पति ग्रह पर नजर रखी थी और यह वह समय था जब यह माना जाता था कि पृथ्वी ब्रह्मांड के केंद्र में स्थित है और सभी ग्रह उपग्रह यहां तक कि सूर्य पृथ्वी का चक्कर लगाता है परंतु गैलीलियो ने पाया कि प्रगति कर रहे हैं कुछ महीनों के लिए दिखना बंद हो जाते हैं और यह तभी हो सकता है जब युवती के चक्कर लगा रहे हो पृथ्वी के और इससे यह सिद्ध हो गया कि यह उपग्रह बृहस्पति के चक्कर लगाते हैं और इसके द्वारा ही है बात भी साफ हो गई कि सभी आकाशीय पिंड पृथ्वी की परिक्रमा नहीं कर रहे हैं और दोस्तों जब गैलीलियो ने यह बात लोगों के सामने रखी तो उन्हें लोगों से माफी मांगनी पड़ी तो वहीं ताकि लोगों ने यह बात मानने से इनकार कर दिया था वे कहते थे कि पृथ्वी ग्रह हमारा देवता है और सभी इस के शिष्य हैं इनके चक्कर क्यों लगाएगी लेकिन वैज्ञानिक इस बात पर अड़े रहे लेकिन कट्टरवादी लोगों का विरोध नहीं खेल पाए और उन्हें सजा के तौर पर सभी से माफी मांगने के बाद वैज्ञानिकों को सजा मिली सूली पर लटका दिया गया था लेकिन दोस्तों के बारे में हम बाद में बात करेंगे हम आपको बता दें कि इस खोज के पास के द्वारा गलत साबित हो गया गलत साबित होने के बाद उन्हें न्यायिक जांच के भयानक घेरे में खड़ा होना पड़ा और फिर उन्होंने इसका दूसरा नियम दिया और वह सूर्य केंद्रीय सिद्धांत यानी कि सूर्य केंद्र में स्थित है और सभी सूर्य का चक्कर लगा रहे हैं आप दोस्तों यह तो रही इसकी खोज की बात अब बात करते हैं ग्रह पर भेजे गए मित्रों के बारे में दोस्तों के सबसे पुराने ग्रहों में से एक है जिसके माध्यम से हम पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में पता लगा सकते हैं और दोस्तों इस पृथ्वी की उत्पत्ति के रहस्यों को जानने के लिए बृहस्पति ग्रह पर मानव द्वारा नॉयांग भेजे जा चुके हैं जिनमें से सात या नो का बहुत महत्व है को शुरू हुआ जब हमारे वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से बृहस्पति ग्रह के लिए रवाना कियादोस्तों आपको बता दें कि पायोनियर 10 एक अंतरिक्ष यान है जिसने 3 दिसंबर 1973 को पृथ्वी से बृहस्पति ग्रह के लिए उड़ान भरी थी और खुशी की बात यह थी कि यह पहला अंतरिक्ष यान होने के बावजूद भी यह 130000 किलोमीटर प्रति के नजदीक पहुंच गया और उसके पहले प्राप्त किया और इनके द्वारा पाया गया कि का विकिरण क्षेत्रलंबा योनि के सफलतापूर्वक बृहस्पति के इतना नजदीक पहुंचने के कारण वैज्ञानिकों ने दूसरा जिसका नाम था पायोनियर 11 पृथ्वी से भेजा गया लेकिन यह पहले अंतरिक्ष यान की तरह सफल नहीं हुआ इसके पृथ्वी से 34000 किलोमीटर दूर जाने पर इसमें कुछ तकनीकी खराबी आ गई लेकिन फिर खराबी को ठीक करने के बाद 4 दिसंबर को छोड़ा गया और यह दोनों पति के क्षेत्र में रहने में सफल हुएआपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन दोनों अंतरिक्ष यान के द्वारा ली गई तस्वीरों से पता चला कि बृहस्पति ग्रह की सतह पर लाल रंग का बहुत बड़ा धब्बा था और दोस्तों के नियमों का सफर यहीं समाप्त हुआ यह इससे अधिक जानकारी नहीं दे पाए फिर लगभग 5 से 6 साल बाद यानी 4 मार्च 1979 को एक और छोड़ा गया और जिसे नाम दिया गया मिशन और यह वाइजर यान पृथ्वी से 349000 किलोमीटर दूर तक पहुंचकर इसने पायोनियर 10 का रिकॉर्ड तोड़ दिया और जितना नजदीक पहुंचने के कारण इसके द्वारा के लिए समझ में बहुत सुधार हुआ और पति के छल्लो की खोज हुई तो थोड़ा रुक के बात करते हैं फिर आगे जारी रखेंगे दोस्तों के बारे में तो जानते ही होंगे ।ड यदि नहीं तो आपसकते हैं दोस्तों प्रकाश सैनी के चारों ओर बर्फीली पर्दों का एक छल्ला है जो सनी के चारों ओर एक निश्चित गति से घूम रहा है उसी प्रकार बृहस्पति के चारों ओर एक छल्ला है लेकिन यह पर पीला ना होकर धूल का बना हुआ है और पति का यह छल्ला भी शनि ग्रह की तरह ही 3 पदों से मिलकर बना हुआ है जिनके नाम में क्रमश अंदरूनी छल्ला छल्ला छल्ला और इनमें केवल अंदरूनी चमकीला है लेकिन दोस्तों अब आपको एक सवाल होगा कि आखिर यह के चारों ओर कैसे आए हम आपको बता दें किबता दें कि इसका निर्माण एड्रेस दिया और मीटर चंद्रमा ओके प्रतिपति से टकराने से बने हैं यह दोनों चंद्रमा बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण से इसकी ओर खींच गए थे और दोस्तों इन छल्लो की घूमने की दिशा भी व्रत पति की दिशा की ओर ही है और दोस्तों और चंद्रमा की भी और एथिया के टुकड़े में मिलते हैं दोस्तों जैसा कि आपको 11 के द्वारा ली गई तस्वीरों से पता चला था इन 5 सालों मेंसालों में लाल धब्बों का रंग बदल गया है और यह रंग अब गहरे भूरे रंग की तरफ बढ़ रहा था और अधिक गहराई से अध्ययन करने पर पाया गया कि इसके साथ है कि ऊपर से इसका ही एक चंद्रमा वो गुजर रहा था और उस पर ज्वालामुखी थे जिसमें विस्फोटक जाने की प्रक्रिया चल रही थी और यह ज्वालामुखी के रूप में दिखाई दे रहे थे और तो यहां पर परमिशन
आपको यह नहीं पता होगा कि अब तक सिर्फ गैलीलियो नहीं बृहस्पति का चक्कर लगाया है जो 7 दिसंबर 1995 को बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश कर गया था और शायद आपको यह भी नहीं मालूम होगा कि इस नहीं 7 साल से भी ज्यादा जिस ग्रह का चक्कर लगाया है दोस्तों आपने सुनने कर ली धूमकेतु के बारे में तो जरूर सुना होगा और के लिए था जिसने तुम केतु की टक्कर का भी जिसने धूमकेतु की टक्कर का भी साथ दिया दोस्तों कीनंबर 2003 में जानबूझकर बृहस्पति ग्रह की सतह पर 40 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से उतारा गया तो इस अंतरिक्ष यान का भी मिशन यहीं समाप्त हो गया क्योंकि उसके गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में प्रवेश करते ही गैलीलियो अंतरिक्ष यान जलकर राख हो गया अब पति से मुठभेड़ के लिए अगला मिशन तैयार किया गया और जिसका नाम बताइएदो हम आपको बता दें कि पहला यू लिसन वाइजर मिशन के दौरान छोड़ा गया था पर वह सफल नहीं हुआ और दूसरा यूनिसेफ 4 फरवरी 2004 को बृहस्पति की तरफ छोड़ा गया और इस अंतरिक्ष यान के द्वारा बृहस्पति के मैग्नेटोस्फीयर का अध्ययन किया गया तो दोस्तों अब यहां रुककर बृहस्पति के मैग्नेटोस्फीयर का अध्ययन करते हैं दोस्तों मैग्नेटोस्फीयर को चुंबकीय क्षेत्र भी कहा जाता है और इस क्षेत्र की तुलना में 14 गुना ज्यादा शक्तिशाली हैरंगी भूमध्य रेखा पर 452 को यह जीरो पॉइंट 42 मिली टेस्ला ध्रुवों पर 10 से 14 को 15074 मिली टेस्ला चुंबकीय क्षेत्र इसे सौरमंडल का सबसे शक्तिशाली चुंबक क्षेत्र बनाता है ऐसा माना जाता है कि इन चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण भवन धाराओं से होती है तू हाइड्रोजन ओर से भीतर सुचालक पदार्थ घूमने से बनती है ज्वालामुखी बड़ी मात्रा में है जो सल्फर डाइऑक्साइड गैस बनाता हैपोरस बनाता है और यह टॉरस बृहस्पति के वायुमंडल में प्रवेश कर हाइड्रोजन आया ना सब मिलकर बहुत बड़ा चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है और दोस्तों इसे अंतरिक्ष यान पृथ्वी से बहुत दूर हो जाता लगभग 12 किलोमीटर पर पहसन 2000 में कैसे 99 शनि ग्रह पर पहुंचने के लिए बृहस्पति से उड़ान भरी और हिमालय चंद्रमा की तस्वीरों को कैमरे में कैद किया और फिर दोस्तों अंत में न्यू हो रिजवान ने प्लूटो ग्रह पर जाने के लिए गुरुत्वाकर्षण की सहायता से बृहस्पति से उड़ान भरी और इस यान ने उपग्रह पर उपस्थित ज्वालामुखी को कैमरे में कैद किया चारों के उपग्रह का विस्तार से अध्ययन कियातो दोस्तों अब बात करते हैं बृहस्पति ग्रह के वायुमंडल की दो तो यह एक रोचक तथ्य से कम नहीं है कि बृहस्पति ग्रह का वायुमंडल सौरमंडल का सबसे बड़ा वायुमंडल है जो ऊंचाई में लगभग 4000 किलोमीटर तक फैला हुआ है जो आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कोई भी धरातल नहीं है इसलिए वायुमंडल के आधार की करते हैंपति के वायुमंडल का आधार बिंदु को माना जाता है जहां वायुमंडलीय दाब पृथ्वी की सत्यता बाप से 20 गुना ज्यादा होता है तो दोस्तों अब बात करते हैं प्रसूति गृह के रासायनिक संरचना के बारे में बताओ पति ग्रह का वायुमंडल लगभग 88 से मिलने परसेंट हाइड्रोजन आठ से 12 परसेंट से मिलकर बना हुआ है दोस्तों क्या आप जानते हैं कि हम परमाणु का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु और इसी कारण
वातावरण हाइड्रोजन में 24% वातावरण बना है 1% वातावरण अन्य तत्वों से मिलकर बना हुआ है जान लेगी हीलियम परमाणु का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु से 4 गुना ज्यादा होता है और इसी कारण इसका लगभग 75% वातावरण हाइड्रोजन में 24% वातावरण से मिलना है प्रतिशत वातावरण अन्य तत्वों से मिलकर बना हुआ हैदोस्तों खगोल शास्त्रियों का मानना है कि प्रस्तुति के केंद्रीय भाग में हाइड्रोजन बैंकर दबाव से कुचलकर धातु हाइड्रोजन के रूप में मौजूद है इसके अलावा पृथ्वी के वायुमंडल में मिथेन जलवा अमोनिया सेलकॉन कार्बन हाइड्रोजन सल्फाइड और सफल होने के संकेत मिलते हैं कुचलकर धातु हाइड्रोजन के रूप में मौजूद हैजितेन हाइड्रोजन सल्फाइड और सफल होने के भी संकेत मिलते हैं 211 बैंगनी के माध्यम से इस ग्रह की जांच की तो उन्हें और अन्य हाइड्रो कार्बन की मात्रा पाई गईयदि दुश्मन बृहस्पति ग्रह के 10 लाख टुकड़े कर दें यही से 1000000 भाग में बांट दे तो इसका 20 / प्रति दस लाख में न्यू की मात्रा उपस्थित हो गई और यह एक गजब का रोचक तथ्य है कि यही सूर्य में भी होता है इसके आधार पर की जाती हैइसके अलावा स्पेक्ट्रोस्कोपी के आधार पर व्रत पत्नी की संरचना शनि ग्रह के समान समझी जाती है तो दोस्तों अब बात करते हैं बृहस्पति ग्रह के द्रव्यमान गोल्डन कान के बारे में बृहस्पति के अन्य संयुक्त हमारे सौरमंडल के अन्य सभी ग्रहों के संयुक्त द्रव्यमान का 2 पॉइंट 5 * है
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