सूरज



सूर्य

दोस्तों हमारा सूरज पृथ्वी पर बसे हर जीव का जीवन दाता है हमारे सूर्य की बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है इसकी गैर मौजूदगी में धरती पर अंधेरा हो जाएगा और पूरी धरती बर्फ के ढेर में ढक जाएगी  सूर्य की ऊष्मा के बिना जीवन का अस्तित्व  असंभव है लेकिन लगभग 4.5 वर्ष अरब चलता आ रहा ये दोर क्या हमेशा के लिए चलेगा ? क्या अस्तित्व हमेशा के लिए टिका रहेगा सूर्य ऐसे ही हमेशा प्रकाशित रहेगा ? या फिर कभी उसका अंत भी होगा ? आइए इन सब सवालों के जवाबों को जानते हैं 


सूर्य का निर्माण कैसे हुआ

सूर्य का निर्माण आज से लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले हुआ था हजारों प्रकाश वर्ष दूर फैला महाकाय मौलिकुलर गैस के बादल के एक बड़े हिस्से के ढह जाने से हमारे सौरमंडल की रचना हुई,  सूर्य मंडल के अस्तित्व को एक्सपोज करने वाली इस थ्योरी का  नाम है Nebular Theory. इस थ्योरी के अनुसार उस विशाल गैस के बादल में 1 या उससे अधिक सुपरनोवा अवश्य हुए होगे जिसके कारण उस बड़े गैस के बादल के एक हिस्से को  बिखर जाने से उस बादल में मौजूद उसका रो मटेरियल उससे अलग हो गया धीरे धीरे उस गेस के बादल का कुछ हिस्सा गति और दबाव की वजह से घूमना शुरू हुआ और रफ्तार से गर्म होने लगा, रफ्तार और घुमाओ की वजह से उसका एक बड़ा हिस्सा मध्य केंद्र में गठित हुआ और बाकी का हिस्सा उसके आसपास में घूमता रहा, यह पूरी घटना होने में ही करोड़ों साल लग गए और कई साल बीत जाने से धीरे-धीरे तापमान थोड़ा गिरा ,और हाइड्रोजन और हीलियम का बीच वाला भाग हमारे सूर्य के रूप में अस्तित्व में आया और उसके आसपास घूमने वाले रो मटेरियल से हमारी पृथ्वी और सूर्य मंडल के कई और छोटे बड़े अस्तित्व में आए तो इस तरह सूर्य,  ग्रह और उपग्रह को मिलाकर हमारा सूर्य मंडल बना,  सूर्य हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा पिंड है ,धरती और अन्य ग्रहों से अलग है, वास्तव में वह एक तारा है हमारी आकाश गंगा के 100 अरब से अधिक तारों में से एक तारा, सूर्य जी कैटेगरी का तारा है आकाश गंगा के 10 फ़ीसदी तारों में से एक है जैसे हमारी पृथ्वी और अन्य ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं ठीक वैसे ही सूर्य हमारी पृथ्वी सहित संपूर्ण सौरमंडल को लेकर हमारी आकाशगंगा के मध्य भाग की परिक्रमा कर रहा है सौर मंडल के सभी ग्रहों को हमारी आकाशगंगा की परिक्रमा करने में लगभग 25 करोड साल लग जाते हैं सूर्य मंडल में सबसे ज्यादा द्रव्यमान सिर्फ हमारे सूर्य का ही है उसका व्यास 13,92,000 किलोमीटर है सूर्य देखने में इतना बड़ा नहीं लगता ,सूरज पृथ्वी से 10 गुना बड़ा है क्योंकि वह धरती से 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर दूर है इतने लंबे दूरी में भी सूरज की रोशनी को पृथ्वी तक पहुंचने में 8 मिनट 16 सेकंड लग जाते हैं, मुख्य रूप से सूरज हाइड्रोजन और हीलियम से बना  गोला है सूरज की सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम ,लोहा ,ऑक्सीजन ,सिलिकॉन ,सल्फर ,मैग्निशियम कार्बन, कैल्शियम और क्रोमियम तत्वों से हुआ है , सूर्य के अंदर के केंद्र भाग को कोर कहा जाता है जहां का तापमान अपनी चरण सीमा पर होता है उसका भीतर के कोर भाग का तापमान 1,56,00,000 डिग्री सेल्सियस होता है जबकि सूर्य की सतह जो हमें हमेशा ही दीप मान और प्रकाशित दिखाई देती है उसका तापमान लगभग 6000 डिग्री सेल्सियस तक रहता है


सूरज का अंत

लगभग साडे 4.5 अरब वर्ष पहले जन्मा हमारा सूर्य हर सेकंड के 6570 लाख टर्न हाइड्रोजन को 6530 लाख टर्न हीलियम में ट्रांसफर करता है दोनों के बीच का अन्तर , 40 हाइड्रोजन हिलियम में रूपांतर होता ही नहीं, बल्कि हीलियम के बजाय ऊर्जा में रूपांतरित होता है और ऊर्जा अंतरिक्ष में चारों ओर फैल जाती है सूर्य पदार्थ को मार रहा है लेकिन आखिर ऐसा कब तक चलेगा ,तो ऐसा ओर आगे लगभग 5 अरब साल तक चलेगा उसके बाद सूर्य के केंद्र पक्का हाइड्रोजन समाप्त हो जाएगा जिसके कारण सूर्य के केंद्र का तापमान अपनी हद पार कर लेगा और वह धीरे-धीरे फुल ने लगेगा और वह जो अब है उससे लगभग 100 गुना ज्यादा बड़ा हो जाएगा 

अगर कोई तारा ऐसे फूलने लगे तो इसे रेड जायंट कहते हैं हमारा सूरज भी एक दिन ऐसा ही रेड जायंट हो जाएगा सूर्य के इतने फूल जाने से उसका व्यास इतना बढ़ जाएगा कि वह बुध और शुक्र ग्रह को तो सबसे पहले ही अपने अंदर संमा लेगा और उसके बाद आएगी हमारी पृथ्वी की बारी लेकिन तब तक तो पृथ्वी पर इंसानों के सहित सभी जीव सृष्टि का नाश हो चुका होगा और करोड़ों साल पश्चात सूर्य में अब सिर्फ हाइड्रोजन के बदले हीलियम ही बचा होगा और वह हिलियम अब कार्बन में रूपांतरित होना शुरू हो जाएगा, इसलिए सूर्य अभी भी और ज्यादा फूलेगा, धीरे-धीरे उसके बाद यह पड़ताल की तरह उखड़ कर अंतरिक्ष में बिखर जाएगी, आखिर में सिर्फ एक गुठली जैसा आंतरिक भाग बचेगा, वह आंतरिक भाग उस समय लगभग आज की पृथ्वी के जितना होगा फिर भी उस में गर्मी इतनी होगी जिसकी कोई सीमा नहीं होती, उसके बाद हमारे सूर्य को एक श्वेत वामन तारे का स्वरूप मिलेगा, धीरे-धीरे वह वामन सूर्य भी अपने तापमान पर गर्मी को घुमा देगा और अंत में भुझ कर एक काले कोयले के समान हो जाएगा इस तरह दर्द की सभी जीव सृष्टि का अंत कर देने के बाद हमारे सूर्य का भी अंत हो जाएगा यह सब होने में अभी 5 अरब साल लग जाएगे, ब्रह्मांड में अभी कई सूर्य जितने और कई सूर्य से पहले जन्मे तारों का अंत हो चुका है कोई रेट चार्ट हुए हैं तो कोई श्वेत वामन बन चुके हैं और कई तो बुझे हुए कोयले के रूप में सिर्फ मुरद्दे के सामान रह गए हैं लेकिन इसके साथ ही समय-समय पर ब्रह्मांड में कई और तारे जन्म भी ले रहे हैं ऐसे ही हमारे ब्रह्मांड में सर्जन की विनाश की और पुनः नए सर्जन की एक प्रिक्रिया अविरत रूप से चलती ही रहेगी।

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