सौरमंडल किसे कहते हैं


सौरमंडल किसे कहते हैं



सूरज, सूरज के चारों ओर चक्कर लगाने वाले ग्रह, ग्रहो के चारों ओर चक्कर लगाने वाले उपग्रहछुद्र ग्रह और धूमकेतु उल्का पिंड आदि के सम्मिलित स्वरूप को सौरमंडल कहते हैं कोई अन्य तारा अन्य ग्रह हमारे सौरमंडल का हिस्सा नहीं है पूरे सौरमंडल का केंद्रीय बिंदु सूर्य होता है  

अब हम सूर्य और सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले ग्रहों के बारे में अध्ययन करेंगे साथ ही उल्का पिंड और धूमकेतु के कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में अध्ययन करेंगे सबसे पहले हम अध्ययन करेंगे सूर्य के बारे में, आपको पता है सूर्य हमारे सौर मंडल का केंद्रीय बिंदु है जैसा कि आप सभी जानते होंगे सूर्य एक तारा है और तारों की उर्जा नाभिकीय संलयन द्वारा होती है क्योंकि सूर्य एक तारा है तो सूर्य की ऊर्जा भी नाभिकीय संलयन द्वारा होती है और नाभिकीय के अंतर्गत दो हाइड्रोजन(H2) के अनु मिलकर हीलियम(He)का निर्माण करते हैं और साथ में ऊर्जा मुक्त करते हैं और इसी ऊर्जा को हम यहां नाभिकीय संलयन ऊर्जा के रूप में देखते हैं हर तारे में इसी प्रकार ऊर्जा बनती है तो हम यह कह सकते हैं कि तारों की ऊर्जा का मुख्य स्रोत नाभिकीय संलयन है

सूर्य के अंदर हाइड्रोजन और हीलियम 2 गैसे मौजूद रहती हैं सूर्य के अंदर हाइड्रोजन की मात्रा 71 प्रतिशत है और हीलियम की मौजूदगी 26.5 प्रतिशत है और बचे हुए 2.5 प्रतिशत में अन्य कैसे हैं हैं यह जो ऊर्जा निकलती है नाभिकीय संलयन द्वारा इसमें हाइड्रोजन हीलियम के रूप में बदलते हैं जब यह सारे हाइड्रोजन के अनु हिलियम में बदल जाएंगे तब सूर्य नष्ट हो जाएगा वैज्ञानिकों द्वारा सूर्य की आयु 5 बिलियन वर्ष निर्धारित की गई है 


प्रकाश मंडल

सूर्य का जो बाहरी आवरण है जहां से प्रकाश निकलता है हम उसे प्रकाश मंडल के नाम से जानते हैं और यहां से निरंतर प्रकाश निकलता रहता है लेकिन इस बाहर निकलने के क्रम में इसका तापमान अलग-अलग जगह पर अलग-अलग होता है सूर्य के केंद्र में तापमान अलग होगा सूर्य की बाहरी सतह पर तापमान अलग होगा और शौर्य कलंक का तापमान अलग होगा सूर्य के केंद्र में 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस और सतह का तापमान 6000 डिग्री सेल्सियस और शौर्य कलंक का तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस होता है साथ ही प्रकाश मंडल में से सौर ज्वाला वाला भी निकलती है जोकि किसी दूसरी जगह पर भी जाती रहती है यह ज्वाला पृथ्वी पर भी आती है तो जब यह पृथ्वी की ओर आते हैं तो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण यह उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव की ओर आकर्षित होते हैं जिससे कि रंगीन प्रकाश निकालता है जिसे अरोरा कहा जाता है उत्तरी ध्रुव पर अरोरा जब रंगीन प्रकाश निकालता है तो उसे अरोरा बोरियालिस कहते हैं और दक्षिण में आने वाले अरोरा को हम अरोरा ऑस्ट्रेलिस कहते हैं

सूर्य से जुड़ी हुई एक और महत्वपूर्ण घटना है जो  कि है सूर्य ग्रहण। जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है जिसके कारण सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंचती है इस प्रक्रिया को हम सूर्य ग्रहण कहते हैं। जब हमें सूर्य का कुछ भाग नहीं दिखता है तब हम उसे आंशिक सूर्यग्रहण कहते हैंलेकिन जब संपूर्ण सूर्य हमें नहीं दिखता है तो हम उसे संपूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं। संपूर्ण सूर्य ग्रहण में जब बीच का सारा हिस्सा छुप जाता है तो उसके चारों तरफ से प्रकाश निकलता रहता है, चारों तरफ जो किनारा होता है इस भाग को हम कोरोना कहते हैं जो कि हमें एक्स किरणे प्रदान करता है जो आंखों के लिए हानिकारक होती है इसलिए सब को सलाह दी जाती है कि सूर्य ग्रहण के समय सूर्य ग्रहण को सीधे नंगी आंखों से ना देखें  यह किरणे सिर्फ सूर्य ग्रहण के समय पर ही बनती हैं इस दौरान सूर्य के सिर्फ चारों तरफ से प्रकाश निकलता है जिसके कारण यह एक रिंग जैसा दिखता है इस प्रक्रिया को हम डायमंड रिंग की घटना कहते हैं जिसको हिंदी में हीरक विलय भी कहा जाता है और साथ ही जब भी सूर्य ग्रहण होता है तो वह मैक्सिमम 8 मिनट का ही होता है कभी भी सूर्य ग्रहण 8 मिनट से ज्यादा का नहीं लगेगा तो आप सभी सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों तो आपको पता ही होगा पृथ्वी परिक्रमा कर रही है चंद्रमा भी परिक्रमा कर रहा है नतीजा यह होगा कि 8 मिनट में यह दोनों अपना स्थान बदल लेंगे और उसके बाद ग्रहण समाप्त हो जाएगा। तो तो चलिए जानते हैं सूर्य और पृथ्वी से जुड़े कुछ तथ्य 


पृथ्वी से जुड़े कुछ तथ्य

सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक आने में लगभग 8.16 मिनट से 8.20 मिनट लगते हैं पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा पर-बलाया-कार पथ पर करती है जिसके चलते पृथ्वी कभी तो सूर्य से बहुत दूर और कभी नजदीक हो जाती है। जब पृथ्वी सूरत से सबसे दूर होती है तो उसे अधिकतम दूरी कहते हैं और जब वह पास होती है तो उसे न्यूनतम दूरी कहते हैं और जब वह ना ज्यादा दूर होती है ना पास होती है तो उसे औसत दूरी कहते हैं,

पृथ्वी की सूर्य से औसत दूरी 14,97,95,900 किलोमीटर है। और जब पृथ्वी अधिकतम दूरी पर होती है तो यह दूरी बढ़कर 15.21 करोड किलोमीटर हो जाती है । और जब पृथ्वी सबसे कम दूरी पर होती हैं तो वह दूरी 14.70 किलोमीटर की होती है पृथ्वी और सूरज के बीच औसत दूरी को हम एक खगोलीय दूरी भी कहते हैं हम इस दूरी के माध्यम से भी अंतरिक्ष के कई अन्य दूरी को भी माप सकते हैं सूर्य और पृथ्वी के बीच दूरी सबसे अधिक होती है तो उस घटना को हम अपसौर कहते हैं और जब सबसे कम दूरी होती है तो उसे उपसौर कहते हैं उपसौर की घटना 3 जनवरी को घटित होती है और अपसौर की घटना 4 जुलाई को घटित होती है

सूर्य द्वारा ही हमारे सौरमंडल में ऊर्जा आती है देखा जाए तो हमारे सौरमंडल में 99 परसेंट द्रव्यमान सूरज का ही है क्योंकि बाकी सब ग्रह उपग्रह सूरत में बहुत ज्यादा छोटे हैं और सूर्य के आकार में बड़े होने के कारण सबसे ज्यादा गुरुत्वाकर्षण बल है और इस गुरु आकर्षण बल को त्वरण में आने की वजह से यह सारे ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं

तो चलिए अब हम सारे ग्रहों के नाम जानते हैं


सारे ग्रहों के नाम

1बुध

2. शुक्र

3पृथ्वी

4. मंगल

5. बृहस्पति

6. शनि

7अरुण

8वरुण


प्रथम चार ग्रह ठोस ग्रह होते हैं और इन्हें आंतरिक ग्रह या पृथ्वीयग्रह भी कहा जाता है बाकी के 4 ग्रह ठोस अवस्था में नहीं है बल्कि वह गैस या जलवाष्प अवस्था में उपस्थित हैं इन ग्रहों को हम बाह्य ग्रह कहते हैं और बाह्य ग्रह को बृहस्पतिय ग्रह भी कहा जाता है आंतरिक ग्रह में सबसे बड़ा ग्रह पृथ्वी है और बाह्य गृह में सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति ग्रह है


बुध ग्रह

सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह बुध ग्रह है, बुध ग्रह हमारे सौरमंडल में आकार में सबसे छोटा ग्रह है  यह सूर्य के सबसे नजदीकी ग्रह है इसलिए इस का परिक्रमण काल सबसे कम होता है आपको जानकर हैरानी होगी कि यह मात्र 88 दिनों में सूर्य की परिक्रमा पूरा कर लेता है इस ग्रह की एक प्रमुख विशेषता है की इसके अंदर चुंबकीय गुण है बुध ग्रह में दिन में इस का तापमान 450 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तक चला जाता है और रात में इसका तापमान -150 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है तो इस के ताप का अंतर लगभग 600 डिग्री सेल्सियस का रहता है जो कि किसी भी ग्रह के तुलना में सबसे अधिक है और हैरान करने वाली बात यह है कि बुध ग्रह के पास कोई भी उपग्रह नहीं है


शुक्र ग्रह

शुक्र ग्रह सूरज से दूसरा नजदीक ग्रह है जो कि पृथ्वी से सबसे नजदीक ग्रह है शुक्र ग्रह सबसे चमकीला ग्रह भी है और हैरत करने वाली बात यह है किस शुक्र ग्रह सबसे गर्म ग्रह है हालांकि सबको लगता है कि बुध ग्रह सबसे गर्म ग्रह है यही हमारे दिमाग में कन्फ्यूजन डालता है कि  बुध ग्रह सूर्य के सबसे नजदीक है तो वह ही सबसे गर्म ग्रह होगा बल्कि ऐसा नहीं है शुक्र ग्रह सबसे गर्म ग्रह है ऐसा इसलिए है क्योंकि शुक्र ग्रह में वायुमंडल में 98% कार्बन डाइऑक्साइड है मतलब की शुक्र ग्रह कार्बन डाइऑक्साइड से भरा पड़ा है कार्बन डाइऑक्साइड की ज्यादा मात्रा होने के कारण इसके अंदर सूर्य से मिली गर्मी गर्मी रुक जाती है और यह सबसे अधिक गर्म बन जाता है शुक्र ग्रह सुबह का तारा और शाम का तारा नाम से भी जाना जाता है शुक्र ग्रह को पृथ्वी की बहन या पृथ्वी की जुड़वा बहन भी कहा जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि यह ग्रह पृथ्वी के आकार और घनत्व के लगभग लगभग समान है सभी ग्रह सूरज का चक्कर पश्चिम से पूर्व की ओर करते हैं लेकिन शुक्र ग्रह तथा अरुण सूरज का चक्कर पूर्व से पश्चिम की ओर करता है जिसके फलस्वरूप शुक्र में सूर्य उदय पश्चिम में होता है


पृथ्वी


पृथ्वी को नीला ग्रह भी कहते हैं क्योंकि यह एक मात्र ऐसा ग्रह है जहां  पानी की भरपूर मात्रा है काफी ज्यादा जल होने के कारण इसे नीला ग्रह कहा जाता है और यह एक मात्र ऐसा ग्रह है जहां पर जीवन उपलब्ध है पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.50 डिग्री झुका हुआ है और यह अपने आधार पर  66.50 डिग्री का कोण बनाता है इसी झुकाव और परिक्रमण के कारण पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन होता है जैसा कि सबको पता है पृथ्वी अपने अक्ष पर भी घूर्णन करती है जिसके कारण है दिन और रात होते हैं पृथ्वी को अपना एक चक्कर समाप्त करने में लगभग 24 घंटे लगते हैं हालांकि हम इसे 24 घंटे कहते हैं लेकिन असल में पृथ्वी को एक चक्कर लगाने में 23 घंटे 56 मिनट लगते हैं इसके अनुसार पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365 दिन 6 घंटे लगते हैं यही कारण है कि 3 वर्ष तक पृथ्वी पर 1 साल 365 दिन का माना जाता है और उसके अगले साल फरवरी में 1 दिन जोड़ देते हैं और इसे 366 दिन का साल बना देते हैं जिसे लीप ईयर भी कहा जाता है जोकि जो कि बचे हुए  घंटे को 1 दिन में जोड़ देता है साथ ही में भी देख सकते हैं कि पृथ्वी से पहले 2 ग्रहों के पास कोई भी उपग्रह नहीं है यहां पृथ्वी से उपग्रह का सिलसिला शुरू होता है जिसका एकमात्र उपग्रह है जोकि है चंद्रमा।

 

मंगल ग्रह

मंगल ग्रह को लाल ग्रह भी कहा जाता है क्या आपने कभी जानने की कोशिश की कि ऐसा क्यों होता है क्योंकि यहां पर आयरन ऑक्साइड की मात्रा बहुत अधिक है यह ग्रह अपने अक्ष पर 25 डिग्री झुका हुआ है और झुकाव होने के कारण इस ग्रह पर भी ऋतु परिवर्तन होगा जैसा कि हम जानते हैं ऋतु परिवर्तन के लिए दो बाते होती हैं जोकि है झुकाव होना एवं परिक्रमण होना। पृथ्वी के अलावा मंगल ग्रह पर जीवन होने की सबसे ज्यादा संभावना है। और इसी संभावना को तलाशने के लिए आपको पता होगा भारत ने 2013 में और 2014 में एक मिशन भेजा गया था एम ओ एम (मार्स ऑर्बिटर मिशन) । यह 2013 में भेजा गया था और 2014 में पहुंचा था जीवन की संभावना सबसे अधिक मंगल पर है इसके दो कारण हम देख सकते हैं  कि एक तो पृथ्वी की तरह झुकाव और दूसरा यहां दिन रात की अवधि है वह पृथ्वी के समान 24 घंटे के आसपास ही है। मंगल ग्रह के पास 2 उपग्रह है  फोबोस और डीमोस 


छुद्र ग्रह और छुद्र ग्रह की पट्टी 

तो चलिए अब हम बात करते हैं छुद्र ग्रह के बारे में यह जो छुद्र ग्रह की पट्टी है बीच में वह क्या है शुद्र ग्रह की पट्टी वास्तव में लोगो साइज के गोलाकार में यह जो ग्रह बने यह सब चक्कर लगाने लगे सूर्य के और यह ग्रह कहलाने लगे लगे लेकिन जो गोलाकार के नहीं थे कुछ पत्थर थे टेढ़े मेढ़े छोटे-मोटे कुछ बड़े भी थे उनको उनकी एक श्रंखला बन गई और वह भी एक साथ सूर्य का चक्कर लगाने लगे वही चक्कर लगाने वाली एक पट्टी कहलाती है छुद्र ग्रह की पट्टी यह पट्टी मुख्य रूप से मंगल और बृहस्पति के बीच में है और यह है भी निरंतर सूर्य का चक्कर लगाते रहते हैं और इनकी कुछ आकार बहुत छोटे भी है और कुछ बहुत बड़े भी हैं  अब यहां हमारे सामने दो तथ्य आते हैं उलका और उल्का पिंड क्या होता है 

 

उल्का और उल्का पिंड

सूर्य की परिक्रमा करने के क्रम में छुद्र ग्रह की पट्टी से कोई पत्थर का टुकड़ा पृथ्वी की ओर आकर्षित हो जाता है और पृथ्वी की ओर आने लगता है पृथ्वी के ओर आने के क्रम में यह जैसे पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो घर्षण बल  के वजह से यह जल उठते हैं और इन में आग लग जाती है और आग लगने वाली वाले इस पिंड को हम लोग उल्का पिंड कहते हैं जैसा कि हम सब जानते हैं उनका संबंधित घटना मध्य मंडल में होता है और यह क्या होते हैं जब पृथ्वी के वायुमंडल में घूमते रहते हैं आग लग जाती है तो यह जलकर राख हो जाते हैं और वही समाप्त हो जाते हैं इसे हम आम भाषा में टूटता हुआ तारा कहते हैं लेकिन कई बार इसके जले हुए अवशेष पृथ्वी पर आकर गिर जाते हैं अभी तक कई ऐसी घटनाएं हुई है और जब यह पृथ्वी पर पहुंच जाते हैं तो इसका नाम दे दिया जाता है उल्का पिंड।


धूमकेतु या पुच्छल तारा

जो सूर्य हैं कई बार गैस के गोले के टुकड़े सूर्य की ओर आकर्षित होते हैं और  जैसे कि सूर्य की ओर आते हैं तो इनकी गैस की एक पीछे पू़छ सी बन जाती है तो इसी घटना को हम धूमकेतु कहते हैं एक हैंली नामक धूमकेतु है जो 76 वर्षों में दिखाई देती है जो आने वाले 2062 में दिखाई देगा।


चंद्रमा के बारे में

तो चलिए अब हम बात करते हैं चंद्रमा के बारे में जैसा कि हमने आपको बताया है कि पृथ्वी का एकमात्र चंद्रमा है जिस प्रकार से सूर्य की परिक्रमा पृथ्वी करती है उसी प्रकार से पृथ्वी की परिक्रमा चंद्रमा करता है जो कि हमारी पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह है यह पृथ्वी की परिक्रमा 27 दिन और 8 घंटों में पूरी करता है और अपने अक्ष में भी घूमने के लिए उतना ही समय लेता है यह एकमात्र ऐसा उपग्रह है जिसका परिक्रमण काल और घूर्णन काल समान है चंद्रमा को जीवाश्म ग्रह के रूप में देखा जाता है और चंद्रमा का कोई अपना प्रकाश नहीं होता है यह सूर्य के प्रकाश से चमकता है और चंद्रमा से जब प्रकाश टकराकर के पृथ्वी की तरफ आता है तो उसे 1.3 सेकंड का समय लगता है क्योंकि पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी‌ 384000 किलोमीटर के आसपास है। चंद्रमा का 57% भाग ही पृथ्वी से देखा जा सकता है बाकी भाग इसका छुपा रहता है चंद्रमा में एक क्षेत्र है जो की एक धूल का मैदान है इस धूल के मैदान को शांति सागर कहते हैं सबसे खुशी की बात यह है कि मानव इतना सक्षम हो गया है कि वह चांद पर जा सके और 1969 में पहली बार चांद पर मानव पहुंचा मानव पहुंचा जिसका नाम था नील आर्मस्ट्रांग जो की सबसे पहली बार चंद्रमा पर गए थे पृथ्वी के घूर्णन करते समय जब चंद्रमा पृथ्वी के नजदीक आ जाता है तो इनका आकार बड़ा दिखाई देता है तथा इन की चमक भी बढ़ जाती है चंद्रमा लगभग 14 परसेंट आकार में बड़ा दिखाई देता है और इसकी चमक 30% बढ़ जाती है और इस घटना को हम लोग सुपर मून के नाम से जानते हैं जैसा कि हम सब जानते हैं1 महीने में एक ही पूर्णिमा आती है लेकिन अगर एक महीने में दो बार पूर्णिमा आ जाए तो दूसरी वाली पूर्णिमा को ब्लू मून कहते हैं और अगर ऐसी घटना 1 साल में अधिक बार हो जाए तो हम उसे मून तोईयर के नाम से भी जानते हैं


प्लूटो

प्लूटो ग्रह पहले हमारे सौरमंडल के ग्रहों की सूची में था और यह हमारे सौरमंडल का नोवा ग्रह माना जाता था लेकिन 2006 में अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने इससे ग्रहों की सूची से बाहर कर दिया कारण यह है कि कैपलर महोदय ने जो नियम दिए थे  उन नियमो  को प्लूटो फॉलो नहीं करता था और नतीजा यह हुआ कि उसे ग्रहों की सूची से बाहर कर दिया गया और इस प्रकार अब हमारे सौरमंडल में ग्रहों की संख्या 8 है

 


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