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हमेशा आज कितने आधुनिक बन चुके हैं हम धरती के बाहर जा सकते हैं अंतरिक्ष में करोड़ों प्रकाश वर्ष दूर तक देख सकते हैं हमारे पास विज्ञान है जो हमें हमारे प्रश्नों के उत्तर देता है वैज्ञानिक ट्विटर के जरिए हमने हमारे अस्तित्व का भी काफी हद तक सही सही अनुमान लगाया है पृथ्वी जो हमारा घर है जहां हम मनुष्य ने कई पीढ़ियां बिताए हैं जिसने कई करोड़ सालों से जीवन को अपने अंदर आश्रय दिया है और आज भी थी तारा वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी पर जीवो के करीब 8700000 प्रजातियां रहती है जिसमें से केवल पांच तक हो जाए लेकिन आखिरकार यह सारे जानवर आए थे आखिर धरती पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई थी इसके लिए हमें समय में पीछे जाना होगा उस समय पर जब धरती अपनी शुरुआती अवस्था में थी तो आइए चलते हैं आज से करीब साढे 4 साल पीछे आग से करीब साढे चार साल पहले चट्टान का एक बहुत ही एक नाम तारीख का लगा था इसका सेवन का नामोनिशान तक नहीं था इस वक्त पृथ्वी पर लगातार आसमानों की बरसात हो रही थी काफी लंबे समय तक यह प्रक्रिया चलती रही इसके बाद से ले लिया साथ ही बना यह वही का है जहां हम सब रहते हैं इस वक्त तापमान बहुत ही अधिक था काफी लंबे समय बाद हमारे ग्रह का तापमान थोड़ा सा ठंडा हुआ और इस पर ठोस सतह का निर्माण हुआ इसमें फिर से आकर गोलू की बारिश का सामना किया जिसे हम कहते हैं लेट है विभाग में छोटा नहीं बल्कि इसके साथ-साथ उल्का पिंडों की बारिश हो रही हजारों की संख्या में उल्का पिंड धरती पर रहते अपने साथ कुछ बहुत ही खास लेकर आए थे इनके अंदर थी जिसने हमारी धरती का निर्माण किया और साथ ही धरती के वातावरण में लेकर आया था यहां जीवन के लिए परिस्थितियां अभी भी उपयोग नहीं बनी थी अभी पूरी तरह से जहरीली गैस से भरा हुआ था या वायुमंडल में ऑक्सीजन और धरती चारो तरफ से समुद्र से घिरा हुआ था पर अभी आप परिस्थितियां बदलने वाली थी करीब 8 साल पहले एक बार फिर से शुरू हुई और अब की बार यह अपने साथ केवल पानी ही नहीं बल्कि यह कुछ बेहद अनमोल चीज लेकर आए थे को जीवन देने वाला था यह अपने साथ लेकर आए थे साथ ही उन्होंने कार्बन प्रोटीन और अंतरिक्ष से समुद्र किया परंतु यहां समुद्र की गहराई में तापमान बहुत ही कम था जहां सूरज की रोशनी पहुंची थी लेकिन यहां समुद्र की गहराई में भी छोटे-छोटे प्राकृतिक चीज है जो पानी को गहराई में भी घूम रहे थे और यहीं पर जीवन का पहला पेज पर हम यह नहीं जानते हैं कि आशा कैसे हुआ था लेकिन किसी प्रकार से यहीं पर उन सारे मिनरल्स और केमिकल्स ने आपस में अभिक्रिया करके जीवन का बीज बोया और यहां जन्म हुआ पहले एक कोशिकीय जीव का एक प्रकार के बैक्टीरिया थे यह बैक्टीरिया समुद्र में बहुत ही तेजी से बढ़ने लगे अब यह पानी पूरी तरह से एक को से भर गया था कई करोड़ साल बाद यानी आज से करीब साढे 3 साल पहले समुद्र के अंदर की संख्या इतनी बढ़ गई थी कि यह आपस में जोड़कर इस प्रकार के पत्थरों में थे जिसे कहा जाता है

यह एक एक चट्टान अपने आप में बैटरी आओ की एक पूरी बस्ती थी यह बैटरी और सूरज की रोशनी को भोजन में बदलते थे और इस प्रक्रिया को हम बेहतर रूप से जानते हैं प्रकाश संश्लेषण के नाम से इसी प्रक्रिया में यह एक उत्पाद एक बाय प्रोडक्ट को निकालते थे एक गैस ऑक्सीजन इन सूक्ष्मजीवों ने धरती पर एक सबसे अनमोल चीज का निर्माण किया जो धरती में जीवन को पनपने के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण था और वास्तव में इसके बिना धरती पर कोई जीव जीवित नहीं रह पाता करीब 12 सालों तक पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा लगातार बढ़ती रहे आज से करीब 10 साल पहले धरती में अभी किसी प्रकार का कॉन्प्लेक्स नहीं हुआ था और ना ही धरती पर बड़े-बड़े मां की धरती पर छोटे छोटे हुए थे जो चारों तरफ से पानी से घिरे थे मगर अब तक में हलचल होने लगी इससे धरती की सतह कई सारे टेक्टोनिक प्लेट्स में फिर इन्फ्लेट्स में मूवमेंट के कारण यह सारे छोटे-छोटे भी आपस में जुड़ गए और ब्रेक सुपरकॉन्टिनेंट का निर्माण किया जिसका नाम था रोड इंडिया इस धरती का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस था और धरती का एक दिन 18 घंटों का था मगर अब समय के साथ यहां परिस्थितियां बदलने वाली थी आज से करीब 75 करोड़ों साल पहले धरती की रूपरेखा बदल रही थी धरती का सुपरकॉन्टिनेंट दो भागों में टूट गया और धरती के नीचे का लावा ज्वालामुखी विस्फोट के साथ धरती की सतह पर निकलने लगा इसके कारण धरती में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा काफी बढ़ गईअब धरती का आसमान इन कार्बन डाइऑक्साइड के घने बादलों से घिर चुका था इन बादलों से लगातार अम्लीय वर्षा यानी एसिड रेन होने लगी इससे धरती के वातावरण का अधिकतर कार्बन डाइऑक्साइड धरती के चट्टानों पर कार्बन के मोटे मोटे परत के रूप में जमने लगे जो इस बारिश के पानी के साथ बरस रहे थे इससे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में भारी कमी हो गई और अब धरती के वायुमंडल सूरज की गर्मी को रोकने के काबिल नहीं रह सका इस धरती का तापमान बहुत ही तेजी से कम होने लगा और धरती पर पहले आइस एज की शुरुआत में अब तक का सबसे लंबा विशेषता लेकिन यह भी हमेशा के लिए नहीं रहने वाला था उस समय के साथ-साथ वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा फिर से बढ़ने लगी और पृथ्वी के तापमान फिर से बढ़ने लगा इससे धरती पर जमा पर यह धीरे पूरी तरह से करने लगा और वृद्धि फिर से सामान्य रूप में आने लगी लेकिन उस इन द सेल बैक्ट्रिया का क्या हुआ जो आशीष के आने से पहले समुद्र में आज से करीब 54 साल पहले का सारा पर पूरी तरह से बिगड़ चुका था इस वक्त समुद्र के अंदर एक बिल्कुल नई दुनिया ऑक्सीजन की उपलब्धता में अब भी एक कोशिकीय जीव कई अन्य रूपों में विकसित हो चुकी थी यहां चारों तरफ समुद्री है पौधे कैसे अजीब से छोटे-छोटे समुद्री जीव के साथ ही यह देखकर समुद्री दानव भी था अंग्रेज यह सब कॉन्प्लेक्स मल्टीसेल्यूलर ऑर्गेनाइज्म के नए प्रजाति थे जो कि एक एक खुशी के सूक्ष्म जीव से विकसित हुए थे यह है पाया जी केवल 5 सेंटीमीटर लंबे थे लेकिन इन्होंने अपने शरीर में कुछ खास विकसित कर लिया था जो आगे चलकर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग बनने वाला था यह पहले जीव है जिसके पास रीढ़ की हड्डी थी और इसे विकसित होकर यह खासियत हमें भी मिलने वाली थी आज से करीब 46 करोड़ साल पहले अब कुछ जानी पहचानी हो गई थी अब और भी कई भागों में टूट गया था परंतु आप जमीन पर रहने वाले जीव पेड़ पौधे सूरत से आने वाले हानिकारक वजह से हो रहा था निर्माण हो रहा था जिसे हम कहते हैंजिसे आज हम कहते हैं और जोड़ दिए वायुमंडल में ऑक्सीजन सूरज के अल्ट्रावॉयलेट किरणों को सोख कर ओजोन गैस में बदलने लगे थे जिसने देश के चारों ओर एक चादर का निर्माण किया जो हमें सूरज के अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन से आ जाता है इसके कारण समुद्र में रहने वाली मछली समुद्र से बाहर आने का निर्णय लिया करो औरइसलिए अपने देश का इस्तेमाल पैरों के रूप में किया और समय के साथ यह जमीन पर ज्यादा देर तक रहने लगा जिससे इसके आन काफी विकसित हो गए करीब डेढ़ करोड़ साल के विकास क्रम के बाद यह जानवर आप पूरी तरह से जमीन में रहने लायक बन चुके हैं और इन्हें कहा जाता था टेट्रापोड्स आज से करीब 36 करोड़ पहले यह पूरी तरह से विकसित हो गए थे और अब यह पूरी तरह जमीन पर रहने वाले जीव बन गए थे जो आगे चलकर डायनासोर और अंत में इंसानों में विकसित होने वाले थे यहां से एक नई प्रजाति की शुरुआत हुई है लेकिन अब धरती का बुरा वक्त आने वाला था समय के साथ जियो कि विकास प्रक्रिया जारी रहेगी लेकिन साथ ही धरती का वातावरण भी बहुत तेजी से बदल रहा था एक बार फिर से ज्वालामुखी विस्फोट के कारण धरती का तापमान बहुत ही बढ़ गया इससे धरती पर बहुत बड़ा अकाल पड़ गया इस काल में लगभग सारे पेड़ सूख गए धरती पर जीवो की कुल 95% आबादी साफ हो गई कि शक्ल में कुछ भी जिंदा बच पाए जिन्होंने जिंदा रहने के लिए कुछ भी खाना शुरू कर दिया और गर्मी से बचने के लिए जमीन के अंदर रहने लगे बस समय के साथ-साथ फिर से परिस्थितियों में सुधार आया धरती का वातावरण फिर से सामान्य हो गया आज से करीब 20 करोड़ साल पहले  धरती की रूपरेखा काफी हद तक बदल गई थी ज्वालामुखी विस्फोट से नए भागों का निर्माण हुआ जिन्होंने आपस में मिलकर एक सुपरकॉन्टिनेंट का निर्माण किया जिसका नाम था अब अंतरिक्ष से काफी हद तक आज के जैसी दिखाई इतने बड़े आकार के गुजरने के बाद धरती वापस से सामान्य हो गई सतह पर फिर से नए पेड़ पौधे उठने लगे और धरती पर जो 5% जीवन पाए थे वह विकसित हो चुके थे और एक बिल्कुल नई प्रजाति का जन्म हुआ था जो आने वाले समय में धरती पर अपना शासन चलाने वाला था वे थे डायनासोर डायनासोर असल में उन्हें 5% रेंगने वाले जीवों से विकसित हुए थे जो सा काल में खुद को किसी प्रकार से बचा पाए थे डायनासॉर्स के भी कई प्रजातियां अधिकारी थे तो कुछ मांसाहारी कुछ बहुत ही शांत स्वभाव के थे तो कुछ बहुत ही डायनासोर से भी काफी लंबे समय तक धरती पर राज किया करीब 11 साल तक उसके बाद क्या हुआ कहां विलुप्त हो गए और इंसान कहां से आए यह हम जानेंगे अगले एपिसोड में आज के बस इतना ही अगर आपको दूसरा एपिसोड चाहिए

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