शुक्र




शुक्र ग्रह यानि फैनस सूर्य से दूरी के अनुसार दूसरा और आकर में छठवां बड़ा ग्रह है यह आकाश में सूर्य और चांद के बाद सबसे ज्यादा चमकने वाली वस्तु है शुक्र ग्रह की दूरी सूर्य से लगभग 10 करो 8200000 किलोमीटर है इसका ध्रुवीय व्यास 12104 किलोमीटर है शुक्र ग्रह का कोई उपग्रह नहीं है इस ग्रह का 1 साल धरती के 226.7 दिन के बराबर होता है जिसका द्रव्यमान या नियोजन 486771 है खानापारा किलोग्राम है इसके 1 साल से बड़ा होता है जी हां शुक्र सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने के लिए पृथ्वी के लगभग 226.7 दिनों का समय लेता है जबकि आपने आंखें के चारों एक चक्कर पूरा करने के लिए 246 दिन का समय लेता है शुक्र ग्रह को पृथ्वी की बहन भी कहा जाता है क्योंकि दोनों के आकार में काफी समानता पाई जाती है शुक्र ग्रह का व्यास व्यास का 95% तथा पूजन में पृथ्वी का 80 फ़ीसदी है दोनों कम है और घर आता था रासायनिक संरचना समान है शुक्र के बादलों की किलोमीटर की दूरी कर लेती है इस कारण से शुक्र है कि नहीं जा सकती बादलों के बीच में से 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलती है और में पाई जाने वाली समानता और शुक्र के ऊपर बादलों के कारण पहले यह अनुमान लगाया गया के साधनों के नीचे शुक्र ग्रह पृथ्वी के जैसे होगी और वहां पर जीवन होगा बाद में भेजे गए उपग्रहों से यह जानकारी मिली कि दोनों एक-दूसरे से काफी अलग है और ऊपर कोई जीवन नहीं है और शुक्र जीवन का होना तो नामुमकिन है शुक्र ग्रह का वायुमंडल मुख्य रूप से ज्यादा पैदा करती है जिससे की तरफ भाग का तापमान462 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है इतना ज्यादा तापमान किस को सूर्य मंडल का सबसे गर्म ग्रह बना देता है शुक्र ग्रह का वायुमंडल यह दबाव पृथ्वी के वायुमंडल के दबाव से 90 गुना ज्यादा है इतना ज्यादा दबाव पर समंदर की 87 किलोमीटर नीचे ही होती है रोशनी सेट स्पेस मिशन भेजने की कोशिश जाने के कारणशंकर देने रात्रि शुक्र की सतह पर पहुंचने वाला पहला मानव निर्मित यान बन गया अब तक 20 से ज्यादा यान शुक्र की यात्रा कर चुके हैं 2006 में यूरोपियन स्पेस एजेंसी द्वारा भेजे गए एक्सप्रेस

संत ने सुप्रीम पर एक हजार से ज्यादा ज्वालामुखी के मुताबिक ज्यादातर हिस्सों से बताते हैं कि नहीं है इसका कारण यह हो सकता है कि उनमें से टकराने से पहले ही जाती है सूख गए हैं जिससे लगता है किकाहे की कोई परी मूल का सरकार से टकराने से पहले छोटे टुकड़े में बन जाती है पहले ग्रीक और रोमन लोग शुक्र को एक नहीं बंद कर दो कराएं मानते थे ग्रीक लोकसभा देखने वाले तारे को फास्फोरस और रात को देखने वाले को फास्फोरस कहते थे कि बाद में इनके उन्होंने पाया कि यह दुआ नहीं बल्कि एक रही है इसके बाद यह लोग सुकरात के आकाश में सबसे ज्यादा चमक के कारण इसे सुंदरता और प्यार की देवी कहने लगे




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